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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पदच्युत ५९९ पदार्थ दोषः सयम पदच्युत (वि०) पद से हटाया गया, पद से मुक्त किया। पदवृत्तिः (स्त्री०) दो शब्दों के बीच का अन्तर/विराम। पदच्छेदः (पुं०) पदच्छेद करना, अलग अलग शब्द रखना। पदश्रुत ज्ञानं (नपुं०) अक्षरज्ञान की वृद्धि का ज्ञान। पदत्राणं (नपुं०) पादुका। (जयो०१० २/१६, ११/४१) पदश्रुत ज्ञानावरणीयः (पुं०) पदश्रुत के आवरण कर्म। पदतीरं (पुं०) चरणभाग। (जयो० ४/८) पदसमं (नपुं०) सम स्वर वाला पद। पदन्यासः (पुं०) पद निक्षेप, (जयो० १/९७) पदसमासः (पुं०) दो आदि पदों का समुदाय। ०पदचिह्न, पद संकेत। (जयो० ११/९७) पदसरोरुह (नपुं०) चरण कमल। (जयो० १/९३) ०डग भरना, पैर रखना, गतिशील होना। (जयो० १/९२) पदस्थस्थानं (नपुं०) पदमेष्ठिपद का ध्यान। स्तुति में चित्त पद निक्षेप, चरण प्रदान। (जयो० १/९७) की एकाग्रता का ध्यान। पदनिक्षेपः (पुं०) निश्चय करना, अनुयोगद्धार से पद रखना। पदस्खलनं (नपुं०) पदवी से च्युत होना। (जयो० १९) पदपा (नपुं०) चरण काल। (जयो० ३/रु) पदस्फोटः (पुं०) विशिष्ट अर्थ का प्रकट होना। पद-पद्ममिलिन्द्रः (पुं०) चरणकमल रूप भ्रमर। (वीरो० पदांशः (पुं०) पद के भागा काव्यगत पद के अंश। २१/११) (जयो०वृ०३/९) पदपङ्कजं (नपुं०) चरणारविंद। (जयो० १/९२) पदांशरूपकः (पुं०) पल्लव प्रवाल। (जयो०वृ० १४/४२) पद पंक्तिः (स्त्री०) पदचिह्नों की श्रेणी, चरणतति। पदागमगुणः (पुं०) समागमपरिणा। (जयो० १२/१४५) पदपाठः (पुं०) सूत्र उच्चारण, मन्त्र पाठ करना, मूल सूत्र का पदाग्रः (पुं०) चरणाग्र, चरणों के सम्मुख। (जयो० २४/७५) - पाठ करना। समर्पणां प्राप्य मनस्विना परां सदक्षताः श्रीशपदाग्रतो धराम्। पदपातः (पुं०) कदम विशेष, चरणन्यास, पैद रखना, गति 'पदयोश्चरणयोः अग्रं प्रान्तभागमाप्त्वा' (जयो०१० १/५६) करना। पदाङ्गष्ठः (पुं०) पैर का अंगूठा। (जयो०१० ११/१९) पदप्रयोगः (पुं०) पद का प्रयोग/उपयोग। (समु० ७/३३) पदाञ्चिः (स्त्री०) अधोवस्त्र का ऊपरी भाग। (जयो०) पदबद्ध (वि०) गेय पद युक्त रचना, विशिष्ट पद रचना। पदाति (नपुं०) पैदल सैनिक। पदबंधुरं (नपुं०) मनोहर शब्द। (जयो०६) पदाधीनः (पुं०) वशवर्तिनी। (वीरो० १३/१६) पदभंजनं (नपुं०) शब्द विग्रह, निरुक्ति, व्युत्पत्ति, शब्द संघ पदाब्जु (नपुं०) चरण कमल। (जयो० ३/३१) 'पदाब्जयो __ का पृथकीकरण। चरणकमलयोरधिकरणभूतयोरेवास्ति' (जयो० ३/३१) पदभंजिका (स्त्री०) पृथक्-पृथक् पदों पर लिखि गई व्याख्या, | पदाब्बुजरजः (पुं०) चरण-कमल की धूली। (जयो० २/२८) पद भाष्य। पदाम्बुजाता (समु० १/४१) पदमाला (स्त्री०) जादू का गुण। गतिशीलता। पदाम्बुरुहं (नपुं०) चरण-कमल। 'पदावेन अम्बुरुहे कमले' पदमीमांसा (स्त्री०) पदों का विचार, पद व्याख्या, अनुयोगद्वार (जयो०वृ० १/९९) की रीति के अनुसार पदों का चिंतन-मनन। 'पदाणं पदाम्भोजः (पुं०) चरण कमल। (समु० ३/६६) मीमंसा परिक्खा गवेसणा पदमीमंसा। (धव० १२/३) पदारविंद (नपुं०) चरण कमल। (जयो०वृ० १/२२) पदयुग्मः (पुं०) चरण युगल। (जयो० ६/३८) पद्धतिः (स्त्री०) ०मार्ग, रीति। (जयो० १३/१५) ०मार्गतति पदरीतिः (स्त्री०) वर्णलोप पद्धति। (जयो० वृ० १/३) ०चरण (जयो० ४/१५) प्रसाद, शब्दसञ्चारण। (जयो०वृ० १/३१) पद्धतिभेदः (पुं०) मार्ग भेद, रीति विचार। पदविः/पदवी (स्त्री०) प्रतिष्ठा, उपाधि, विशेष नामकरण, पदार्थः (पुं०) वस्तु, द्रव्य, चीज। (समु०८/२) जीवोऽप्य ०पद्धति (जयो० ११/९७) विशेष स्थान पद्धति, (जयो० जीवश्चस्तथा पदार्थः। पद्धति। (जयो० १/६) १३/४१) ०मार्ग, रथ्या, (जयो० १३/२५) उपकरण। (जयो०१/६) ०माल-अन्नादेरिस्ततो। (जयो० पदविग्रहः (पुं०) पदों का छेद, पदविच्छेद, पदभंजन, २/१३) पदपृथक्करण, अभीष्ट अर्थ का नियमन। पदार्थ दोषः (पुं०) १. पद के अर्थ का दोष। ०वस्तु में अन्य पदविभागी (स्त्री०) पद की आलोचना। अर्थ की कल्पना। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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