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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पदार्थभावः ६०० पद्मांगमुदं | पदार्थभावः (पुं०) पद्धति भाव। (जयो० १/६) पदिक (वि०) [पादेन चरति-पाद+ष्ठन्] पैदल चलने वाला। पदैकभूपः (पुं०) एकपद का अधिपति। (वीरो० २०/१) पदयोर्मा येषु तानि पद्मानि इति व्युत्पत्या पद्यानि पद्याख्यानि जातानिविद्यो न पद्योऽर्हति यत्र पाणेस्तुलां (जयो० ११/४२) पद्म (नपुं०) [पद्+मन्] (जयो० १/४७) (सुद० २/४५) (जयो० १/५) रक्त कमल। (जयो० वृ०५/४७) पदोऽर्मा श्रीर्यस्य स पदम्। (जयोवृ०५/७९) संख्या विशेष, चौरासी लाख वर्षों से गुणित पद्मांग प्रमाण। 'तं पि गुणिदव्वं' चदुसीति लक्खवासे पउमणाम समुद्दिठें। (ति०प० ४/२९६) पद्मः (पुं०) राम, बलदेव, दशरथ पुत्र राम। ०इक्क्ष्वासु वंशी राजा। (वीरो० १५/३३) पद्मकरः (पुं०) विष्णु। पद्मकर्णिका (स्त्री०) पद्म का बीजकोश, कमल गट्ठा। पद्मकलिका (स्त्री०) कमल कली। पद्मकेशरः (पुं०) कमल पराग। पद्मकोषः (पुं०) ०कमल संपुट। अंगुलियों की एक आकृति। ०हथेली का कमल की तरह रखना। पद्मखण्डं (नपुं०) कमल समूह। पद्मगन्धं (नपुं०) कमल गन्ध। पद्मगन्धि (वि०) कमल की गन्ध वाला। पद्मगर्भः (पुं०) ब्रह्मा, विष्णु। पद्मगुणा (स्त्री०) लक्ष्मी। पद्मगृहा (स्त्री०) लक्ष्मी। पद्मजः (पुं०) ब्रह्मा। पद्मजातः (पुं०) ब्रह्मा। पद्मनन्दिः (पुं०) एक जैनाचार्य या पत्नीकदम्बराज-कीर्तिदेवस्य मालला। श्रीपद्मनन्दिसिद्धान्तदेव-पादाभ्युपासिका।। (वीरो० १५/४२) पद्मनाभः (पुं०) छठे तीर्थंकर पद्मप्रभु। पद्मनाभः (नपुं०) विष्णु। पदानालं (नपुं०) कमल डंठल। पद्मपाणि (पुं०) ब्रह्मा, विष्णु। पद्मपुराण: (पुं०) वैदिक पुराण। (जयो० २५) राम सम्बंधी प्राचीन कथा। जैन पुराण। पद्मपुष्पः (पुं०) कनेर का पौधा, कर्णिकर पादप। पद्मप्रभुः (पुं०) छठे तीर्थंकर का नाम। 'पद्मस्येव प्रभा यस्याऽसौ'। (भक्ति० १८) पद्मबन्धः (पुं०) एक प्रकार की कृत्रिम रचना। विभयेन मानहीनं विनष्टैनः पुनस्तु नः। मुनये नमनस्थानं ज्ञानाध्यानधनं मनः।। (वीरो० २२/३९) पद्मबन्धुः (पुं०) सूर्य, रवि। (वीरो० १२।८) मधुमक्खी। पद्मभयः (पुं०) कमल के उत्पन्न। पद्मभूः (पुं०) ब्रह्मा। पद्ममुदा (स्त्री०) पद्मासन। पद्मयोनि (पुं०) ब्रह्मा। (जयो० २/२६) पद्मरागः (पुं०) अरुणमणि। (जयो० १/५६) (जयो०१०१०/८६) कमल पराग, केशर। पद्मरागरुचिः (स्त्री०) पद्मराग की कान्ति। 'पद्मरागस्य तन्नाम रत्नस्य रुचिरिव रुचिर्यस्य तत् करयोदयं' (जयो०वृ० १४/१२) पद्मराजः (पुं०) राजनेता, 'वल्लभभाई पटेल इति नाम्ना प्रसिद्धो राजनेता' (जयोवृ० १८/८१) पद्ममेव राजेति पद्मराज उत पोषु राजेति पद्मराजः कमल प्रसन्नं मुखमग्रभाग (जयो०वृ० १८८१) पद्यरुखं (नपुं०) कमल सदृशा स्त्रिया मुखं पद्यरुखं ब्रुवाणा (सुद० १०२) पद्मरेखा (स्त्री०) हथेली की रेखाएं। पद्मलांछनं (नपुं०) पद्मचिह्न वाले पद्मप्रभु तीर्थकर। पद्मलेश्या (स्त्री०) ०एक शुभ लेश्या। ०भद्रपरिणाम वाली एक लेश्या। पनवासा (स्त्री०) लक्ष्मी। पद्मविभवः (पुं०) कमल वैभव। (जयो०१० ३/१३) पाहृदः (पुं०) पद्मनामक तालाब। (सुद० ३/७) पद्या (स्त्री०) लक्ष्मी, कमलासिनी (वीरो० २/१०) धनदेवी। अकम्पनसुता, सुलोचना। (जयो० ६/१३२) 'समाप पद्मा हृदिनाभिकापि' (जयो० १/५८) पद्यांगः (पुं०) एक संख्या विशेष। कुमुदं चउसीदिहदं पउमंग होदि। (ति०प० ४/२९६) चौरासी लाख से गुणित कुमुद प्रमाण। पद्मांगं (नपुं०) लक्ष्मी रूप शरीर। पद्यांगमुदं (नपुं०) लक्ष्मी रूप अंग का हर्ष। 'पद्माया लक्ष्मीरूपाया अङ्गं शरीरं तस्य मुदेन तदवलोकन हर्षेणाङ्कितः' (जयो०वृ० १०/५१) 'पद्मानां कमलानां अङ्गस्य मुदेन विकास रूपेणोपलक्षितः। (जयो०वृ० १०/५१) For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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