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पद्यार्थ
६०१
पयोदपतिः
पद्यार्थ (वि०) लक्ष्मी के प्रयोगीजन। (जयो० १/४७) पद्यावली (स्त्री०) वृत्त, छंद, कृति। (जयो० २०/३०) पद्मानामाली (स्त्री०) पयोरुहाली। (जयो०वृ० २३/२५) पद्रः (पुं०) [पद्यतेऽस्मिन्-पद्+रक्] ग्राम।। पद्मानंददायिन् (पुं०) सूर्य। (जयो० ५/२८)
पद्वः (पुं०) [पद्+वन्] भूलोक, मर्त्य लोक, रथ, ०पथ, पद्याप्सरस् (पुं०) पद्म युक्त जल का सरोवर। (वीरो० २/१०) ०मार्ग। पद्माभिधा (स्त्री०) पद्या नाम युक्ता। पद्माभिधा विधाऽसौ तु पन् (अक०) प्रशंसा करना, स्तुति करना। मुधाऽहो प्रकृतेर्बुध। (जयो० ७/१०)
पनसः (पुं०) [पनाप्यते स्तूयतेऽनेन देवः पन्+असच्] कटहल पद्यालयः (पुं०) सरोवर। (जयो० ४/६८)
तरु। पद्मालया (स्त्री०) सरस्वती (जयो० १९/३३) ०पद्मालया नाम। पनसं (नपुं०) कटहल का फल। पद्यालयमालिनी (स्त्री०) सुलोचना के प्रासाद लोक की श्रेणी। पन्न (भू०क०कृ०) [पद्+क्त] अवतरित, गिरा हुआ, डूबा हुआ।
पद्याया+आलय+ पद्मालयो राजभवनं तस्य माला प्रसङ्गप्राप्त पन्नगः (पुं०) सर्प, सांप। (जयो० ७/७५) जनपंक्तिः । (जयो०वृ० १०/७८)
पन्नगः (पुं०) गरुड़ पक्षी।। पद्मावती (स्त्री०) पद्मावती नाम देवी, जो पार्श्वनाथ तीर्थंकर पन्नगसूत्री (वि०) गारुडी। पन्नगं नागं सूत्रयति सूचयतीति के समय जन रक्षिका थी।
पन्नगसूत्री सर्पसदृशाकृति। (जयो०वृ० ५/४१) चम्पानगरी के राजा दधिवाहन की रानी (वीरो० १५/१८) गारुडी। (जयो०वृ०५/४१) 'चम्पाया भूमिपालोऽपि नामतो दधिवाहनः। पद्मावती प्रिया पन्नगा (स्त्री०) सर्पिणी। (जयो० ३/५५) तस्य वीरमेतौ तु जम्पती।। (वीरो० १५/१८)
पपि (पुं०) चन्द्रमा। [पातिलोकम्-पिबति वा, पा+कि] पद्मासमनः (पुं०) राजा। (जयो० ६/२६)
पपीः (पुं०) चन्द्र, सूर्य। पद्मासनं (नपुं०) कमलासन। (दयो० २६)
पपु (वि०) [पा+कु] पालन करने वाला, रक्षा करने वाला। पद्मासनी भूयाङ्कः (पुं०) ध्यानमुद्रा की स्थिति। पदार्थनां स्वरूपं पंपा (स्त्री०) एक दक्षिण भारत की एक नदी।
मनसा चिन्त्यते, तदर्थं च पदासनीभूयाङ्के करधारणामिति पयस् (नपुं०) [पय्+अमुन्] [पा+असुन्] पानी, जल, वारि। ध्यानमुद्रा। (जयो०वृ० १९/२८) सरस्वती (जयो० १९/२८) (जयो० १/३४, १४/७९) ०लक्ष्मी।
दूध, (जयो० १/९) क्षीर, दुग्ध (जयो० २५) पद्मिन् (वि०) [पद्म+इनि] कमल रखने वाला।
०वीर्य (जयो० ३/२३) (सुद० ९१) पद्मिनी (स्त्री०) कमलिनी। (सुद० ७९)
पयःपानमय (वि०) दुग्धपान युक्त। (सुद० ३/१७) गुण शालिनी स्त्री। (जयो०१० २२/१३) 'पद्मिनी' शरदि पयस्डः (पुं०) ०ओला, टापू। सोऽन्वभूदवशी'
पयस्चयः (पुं०) जलाशय, सरोवर। नायिका का एक भेद। (जयो०वृ० २३/१३)
पयस्जन्मन् (पुं०) मेघ, बादल। पद्येशयः (पुं०) [पद्मशेते-शी+अच्] विष्णु।
पयस्य (वि०) दूध से युक्त। पोश्वरः (पुं०) सूर्य 'पद्यानां कमलानामीश्वरं विकासकरत्वात्' पयस्विनी (स्त्री०) दुग्धदात्री। (वीरो० १/१७, समु० १/९) (जयो०१० २०/४८)
पयोगी (स्त्री०) प्रयोगी। (सुद० ४/१०) पद्मोदयः (पुं०) कमला का उदय। 'पद्माया लक्ष्म्या उदयः पयोज (नपुं०) कमल, कुमुद। (वीरो० ४/३४) (समु० ३/९) संप्राप्तिः ' (जयो०वृ० १/५१)
पयोजातमुखी (वि०) कमलमुखी। (वीरो० २१/६) पद्मोदरः (पुं०) पद्म रूप उदर। (जयो० ११/९२)
पयोदः (पुं०) बादल, मेघ। (जयो०वृ० ७/२६, १२/१७) पद्य (वि०) [पद्यत्] पद वाला, पंक्तियों वाला, चरण या पयोदकालः (पुं०) वर्षाकाल। (भक्ति० १४) पाद वाला एक छंदोबद्ध रचना वाला।
पयोदमाला (स्त्री०) मेघमाला। न चातकीनां प्रहरेत् पियासां पद्यः (पुं०) शूद्र।
पयोदमाला किमु जन्मना सा। (वीरो० ५/२२) पद्यं (नपुं०) श्लोक, कविता, चरण/पाद युक्त रचना, कृति। | पयोदपतिः (पुं०) पयोदानां मेघानां पतिर्जयकुमारः। ०प्रशंसा, स्तुति।
(जयो०१३/१)
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