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एक व्यक्ति हमेशा काले कपड़े पहना करता था। एक बार वे किसी सज्जन के घर गए। सज्जन ने उन्हें देखा और कहा - 'आप काले रंग के कपड़े क्यों पहनते हैं?' उन्होंने जवाब दिया - 'मेरे काम, क्रोधादि मित्रों की मृत्यु हो गई है, उन्हीं के शोक में मैंने ये काले वस्त्र धारण किए हैं।' सज्जन ने उन्हें घर से बाहर जाने को कहा। वे चले गए। सज्जन ने अपने नौकर को भेजा
और उन्हें वापिस बुलाया। वे फिर आए। उनके आते ही सज्जन ने फिर चले जाने को कहा। वे फिर चले गए। इस प्रकार उन सज्जन ने उन्हें क़रीब 50 बार बुलाया और घर से निकाल दिया, किंतु फिर भी उनके मुख पर क्रोध या विषाद के भाव नहीं आए।
___अंत में सज्जन ने उन्हें बुलाया और कहा - 'सचमुच आप काले वस्त्र पहनने के योग्य हैं क्योंकि 50 बार अपमान के साथ घर से निकाले जाने पर भी आपके भाव स्थिर रहे।' मैंने आपको क्रोध दिलाने की चेष्टा की किंतु आप विचलित नहीं हुए।आख़िरकार मैं हार गया। उन्होंने कहा - 'आप बेकार ही मेरी प्रशंसा कर रहे हैं। मुझसे अधिक क्षमाशील तो बेचारे कुत्ते होते हैं जो हज़ारों बार बुलाने और दुत्कारने पर भी बराबर आते-जाते रहते हैं। इसमें कोई प्रशंसा की बात नहीं है।
सज्जन समझ में आ गया कि यह व्यक्ति अपने दुर्गुणों पर विजय प्राप्त कर चुका है, लेकिन फिर भी एक बार और परीक्षा लेने के लिए उसने उन्हें फटकारा और जाने के लिए कहा। वे चले गए। सज्जन व्यक्ति ने फिर नौकर को भेजा और उन्हें बुलाया। वे फिर आए लेकिन तब भी उनके भावों में कोई अंतर नहीं आया था। यह देखकर सज्जन ने उन्हें प्रणाम किया और यथोचित सत्कार किया। उसे हकीकत में ही जीवन में मुक्ति का आनन्द मिलता है जो सुख की प्राप्ति होने पर संयम और दुःख आने पर धैर्य रखा करता है।
एक प्यारी-सी कहानी है। एक व्यक्ति अत्यन्त ग़रीब था। उसकी पत्नी एवं दो नन्हें बच्चे 3-4 दिन से कुछ नहीं खाने को मिलने के कारण भूख से बिलबिला रहे थे फिर भी वह अपने परिवार का भरण-पोषण करने में असमर्थ था। दुश्चिन्ता से ग्रस्त, ग़रीबी एवंदु:खों से घबराकर वह आत्म-हत्या के लिए नदी की ओर जाता है। नदी के किनारे एक किसान का खेत था। वह अपने खेत
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