Book Title: Bahetar Jine ki Kala
Author(s): Chandraprabhashreeji
Publisher: Jain Shwetambar Panchyati Mandir Calcutta

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Page 113
________________ जननी में छिपी ज़न्नत की राहें माँ के चरणों से दिन की शुरुआत व माँ की सेवा से दिन का समापन करने वाला पुत्र धन्य है। एक नि:संतान दंपति ने मुझे बताया कि एक महिला के पाँच बच्चे पहले थे। छठा होने वाला था और घर में खाने के लाले थे। डॉक्टर समेत सबकी यही सलाह थी कि बच्चा गिरा दिया जाए। माँ की भी यही इच्छा थी। हमें इसकी खबर लगी, तो हम वहाँ दौड़कर गए हमने उससे कहा कि लड़का हो या लड़की हम रखने को तैयार हैं। तुम बच्चे को जन्म दो महिला ने कुछ सोचा और हामी भर ली। हमने उस महिला की दवा-दारू पौष्टिक खुराक और आराम का पूरा ख़याल रखा और अभावों से जूझते परिवार को कुछ आर्थिक मदद भी दी। ठीक समय पर उस महिला ने एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया, लेकिन ज्योंही हम उसे ले जाने आए, वह साफ मुकर गई, 'अपनी बच्ची को हरगिज नहीं दूंगी। आख़िर मैं एक माँ हूँ। ग़रीबी के डर से अपनी कोख-जन्मी बच्ची को कैसे दे दूं। जैसे बाकी पल रहे हैं, वैसे ये भी पल जाएगी।' महिला की यह भावना देखकर हम भाव विह्वल हो गए और वापिस लौट आए। 112 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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