Book Title: Bahetar Jine ki Kala
Author(s): Chandraprabhashreeji
Publisher: Jain Shwetambar Panchyati Mandir Calcutta

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Page 122
________________ स्वयं को शांति का सरोवर बनाइए। क्रोध का पेट्रोल-पम्प नहीं। सरोवर में अगर कोई अंगारा गिरेगा भी तो बुझ जाएगा, वहीं पेट्रोल पर गिरा तो घरपरिवार-समाज को जला डालेगा। *वैर, विरोध और वैमनस्यता की स्याही से सना हुआ वस्त्र प्रेम, आत्मीयता, क्षमा और मैत्री के साबुन से ही साफ होता है। याद रखें बड़े आदमी के क्रोध की बजाय छोटे आदमी की क्षमा कहीं ज्यादा महान होती है। . विचार हमारे स्वभाव का निर्माण करते हैं, स्वभाव व्यवहार का निर्माण करता है और व्यवहार व्यक्तित्व का / व्यक्तित्व को बेहतर बनाने के लिए विचारों को बेहतर बनाएं। सड़क पर किसी घायल व्यक्ति को देखकर उसे नज़र अंदाज न करें / संभव है कि हम उसे किसी प्रकार का सहयोग न कर पाएं फिर भी घायल को धर्ममंत्र का श्रवण अवश्य करवा दें। संभव है ऐसा करके हम किसी धरणेन्द्र-पद्मावती के देवस्वरूप को जन्म देने का सौभाग्य प्राप्त कर लें। . जो व्यक्ति अपने जीवन में इस बात का बोध बनाए ररवता है कि मैं क्रिया-प्रतिक्रिया के भंवरजाल में नहीं उलझंगा, वह अपने जीवन में शांति और आनंद को बरकरार रख सकता है। संगठन में ही शक्ति है ।पांच लकड़ियां एक साथ बंधी हों,तो पांच भाई एक -साथ मिलकर भी नहीं तोड़ सकते, पर याद रखें बिरवरी लकड़ियों को कोई भी तोड़ सकता हैं। प्रवर्तिनी चन्द्रप्रभा श्री national For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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