Book Title: Bahetar Jine ki Kala
Author(s): Chandraprabhashreeji
Publisher: Jain Shwetambar Panchyati Mandir Calcutta

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Page 38
________________ दो-तीन छात्रों ने मेरे सामने सिगरेट और खैनी की पेश की। मैंने उन्हें डांटा कि यह सब क्या है ? उन्होंने बताया कि हमारे गुरुजी तो हमसे सिगरेट मंगाकर पीते हैं । मुझे अपने शिक्षक होने पर शर्म आई । यदि शिक्षक वर्ग ही विद्या के मंदिर में नैतिकता की सीमा लांघ जाएगा, तो इस भावी पीढ़ी का क्या होगा ? हम बच्चों के सामने नैनिकता का उदाहरण नहीं बनेंगे, तो स्वस्थ भविष्य का निर्माण कैसे होगा ? 1 हम सिमट रहे हैं, संकुचित हो रहे हैं। शिक्षा के मूल्यों का ह्रास हो रहा है, चारित्रिक पतन हो रहा है । रावण ने अपने अवगुण के कारण सीता का हरण किया था । पचास गुणों में भी यह एक बहुत बड़ा अवगुण था । किन्तु उन्होंने एक नियम लिया था जब तक सीता स्वीकृति नहीं देगी तब तक मैं उसकी देह का स्पर्श नहीं करूँगा। सीता ने स्वीकृति नहीं दी इसलिए रावण ने स्पर्श भी नहीं किया। ऐसा कोई भी शास्त्र उपलब्ध नहीं है जिसमें रावण द्वारा सीता का उपभोग किए जाने का उल्लेख है । इतनी निष्ठा थी रावण को अपने नियम के प्रति । वह दम्भी था, पर बलात्कारी नहीं । आज शिक्षा प्रणाली के मूल्यों में गिरावट आने के कारण चारित्रिक मूल्यों का तीव्रता से पतन हो रहा है और तो और नारी अस्मिता प्रश्नों के दायरे में है ? अबलाएँ लूटी जा रही है। बलात्कार की घटनाओं में दिन-प्रतिदिन वृद्धि होती जा रही है । कमज़ोर आदमी मात खा रहे हैं। योग्य व्यक्तियों को आगे नहीं बढ़ने दिया जा रहा है । प्रतिभाओं को दबाया जा रहा है । स्वस्थ समाज की संरचना के लिए हमें विषमताओं को जड़ मूल से दूर करना है । मतभेद ठीक है पर मन भेद नहीं होना चाहिए। हम अपने स्तर से ऊपर उठें। | आज की शिक्षा प्रणाली में मनुष्य की सोच बदलती जा रही है। वह निर्माणकारी शिक्षा से दूर रहकर जहाँ स्वार्थ की पूर्ति नहीं होती वह विध्वंस करने के लिए तैयार हो जाता है। विध्वंसात्मक प्रवृत्ति के विद्यार्थी यह भलीभाँति नहीं समझ पाते कि विध्वंस सरल एवं सहज है । निर्माण कठिन एवं श्रमसाध्य है। बिगाड़ना सरल है, पर बनाना मुश्किल है। हम हर हालत में तोड़फोड़ से दूर रहें । Jain Education International For Personal & Private Use Only 37 www.jainelibrary.org

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