Book Title: Bahetar Jine ki Kala
Author(s): Chandraprabhashreeji
Publisher: Jain Shwetambar Panchyati Mandir Calcutta

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Page 74
________________ पहले ही मेरा बैग चोरी हो गया है।' मैंने उससे पूछा कि बैग में क्या था ? तो उसने कहा कि उसके सभी शैक्षणिक व अन्य प्रमाण पत्र उसमें हैं और वह फाइनल इंटरयू के लिए मुम्बई जा रहा है। वह बहुत घबरा गया था और उसके हाथ पैर काँप रहे थे । गाड़ी प्लेटफॉर्म में सिर्फ पाँच मिनट के लिए ठहरने वाली थी। मैंने स्टेशन मास्टर से बात की तो उन्होंने एफ. आई. आर. दर्ज करा गाड़ी रवाना करने का आदेश दिया। मैंने उस लड़के को वहीं रुकने को कहा। मैंने स्थानीय पुलिस अधिकारियों से बात कर देर रात तक उसका बैग उसे वापस दिला भी दिया। लेकिन अब समस्या उसे मुम्बई भेजने की थी । उसे अगले दिन सुबह किसी भी हालत में मुम्बई पहुँचना था। मैं उसके साथ भोपाल गया और वहाँ से प्लेन से उसे मुम्बई भेजा । उन दिनों प्लेन का किराया ज़्यादा था और मेरी पूरी तनख्वा उसमें खर्च हो गई। सौभाग्य से उस लड़के का इंटरव्यू में नौकरी के लिए चयन हो गया । वह आज भी मुझे देवता के समान याद करता है । हम भी ऐसे व्यवहार के मालिक बनें जो हमें भी आनंद दे और हमारे जाने A बाद भी लोग उससे प्रेरणा लेते रहें । Jain Education International For Personal & Private Use Only 73 www.jainelibrary.org

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