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जिस प्रकार दूध में मक्खी गिर जाने पर मानव उसे शीघ्रता से बाहर निकाल कर फेंक देता है। उसी प्रकार मन में क्षुद्रवृत्तियों के आ जाने पर उसे शीघ्रता से निकाल देना चाहिए। क्षुद्र वृत्ति से रहित मन के द्वारा ही हमारे जीवन का कल्याण किया जा सकता है।
__ हमें अपने जीवन को श्रेष्ठ बनाने हेतु जागना ज़रूरी है। जागे बिना विवेक जागृत नहीं होगा और विवेक के बिना जीवन की उपयोगिता सिद्ध नहीं होगी। बदलाव या सुधार का दूसरा नाम सम्यक् जागरण है। जब तक दीपक रहता है अंधकार उसके पास नहीं आता है। जागृत और सजग जीवन में बुराइयाँ प्रवेश नहीं कर सकती है।
जागने से तात्पर्य है घर में लौट आना। ऐसे घर में जहाँ सुख हो, शांति हो।
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