Book Title: Bahetar Jine ki Kala
Author(s): Chandraprabhashreeji
Publisher: Jain Shwetambar Panchyati Mandir Calcutta

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Page 73
________________ आपकी जान बचाई और आप मेरी कविताएँ भी नहीं छाप सकते।' रामानंद जी ने प्रेम से समझाते हुए कहा, 'संपादक होने के नाते श्रेष्ठ रचनाओं का चयन कर उन्हें पाठकों के सामने लाना मेरा कर्तव्य है। तुम चाहे, तो मुझे फिर से गंगा में डुबो सकते हो। वह मुझे स्वीकार है, परंतु अपने पाठकों के साथ विश्वासघात व छल करना स्वीकार नहीं।' कर्तव्य के प्रति उनकी ऐसी अटूट निष्ठा को एवं सत्यप्रियता को देखकर वह युवक भावुक हो उठा। उसने क्षमा माँगते हुए कहा इस बार मैं इनसे भी श्रेष्ठ कविताएँ बनाकर दूंगा। इस तरह का सुव्यवहार युवक के लिए रोशनी का काम कर गया। व्यवहार एक सुरक्षा कवच है यह कवच बना रहना चाहिए। इसी में व्यक्ति का, परिवार का, समाज का, राष्ट्र का हित है। व्यवहार मनुष्य के चरित्र का दर्पण है । जो व्यवहार हमारे लिए समस्या बने हमें उन कारणों को ढूँढ़ना है, समाधान करना है। बड़प्पन की धारणा, अहंकार का बोझ, आदेश देने की प्रवृत्ति, अत्यधिक अपेक्षा का बोझ, सुझावों के प्रति स्वीकृति का भाव, रुग्ण व्यक्तित्व, अज्ञानता, शिक्षा का अभाव, कुसंगति, प्रमाद, फैशन, व्यसन आदि अनेक कारण है जिनसे हमारे व्यवहार बिगड़ते हैं। हमें दूसरों के साथ वही व्यवहार करना चाहिए जैसा हम दूसरों के अपेक्षा रखते हैं। दूसरों के साथ किया गया श्रेष्ठ व्यवहार लौटकर आता है और बुरा व्यवहार भी लौटकर आता है। जहाँ तक हो सके हम दूसरों से श्रेष्ठ व्यवहार करें। बुरा कदापि न करें। श्रेष्ठ व्यवहार हमारी छवि लोगों के दिलों में भगवान तुल्य बना देती है । मैंने देखा, मेरे पास एक सज्जन बैठे थे तभी एक युवा आया, उनके चरणों में पंचाग प्रणाम किया और चला गया। मैंने उनसे पूछा, क्या यह आपका पुत्र है ? उन्होंने कहा, मेरा पुत्र नहीं है, पर मुझे देवता तुल्य मानता है। कारण का जिक्र करते हुए बताया वर्ष 1990 में मैं मध्य रेलवे के इटारसी स्टेशन पर प्लेटफार्म ड्यूटी कम आरक्षण टी.सी.' पद पर तैनात था। प्लेटफॉर्म नंबर दो पर कलकत्ता-मुम्बई रेल आने की घोषणा हुई। गाड़ी के प्लेटफार्म पर ठहरते ही 22-24 साल का एक लड़का दौड़ते हुए मेरे पास आया। वह मुझसे बोला कि साहब मैं इलाहबाद से आ रहा हूँ और कुछ देर 72/ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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