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विनम्रता एक ऐसा गुण है जो सहज होते हुए व्यवहार जगत में विशिष्ट गुण माना जाता है। इस गुण के अभाव में व्यक्ति किसी के साथ आसानी से सामञ्जस्य नहीं बिठा सकता है। विवाद एवं बहसबाजी से बचने हेतु विनम्रता अमोघ अस्त्र है। किसी का बहुत ही सुन्दर कथन है -
विवाद करने वाला उदंड व्यक्ति अपने हाथों अपने उद्देश्यों का एक्सीडेंट करता है । चलते-चलते वह व्यक्ति स्वयं की दिशा को बदल लेता है,पर विनम्र व्यक्ति प्रकृति के हर नियम का सम्मान करता जाता है।
झुकता वही है, जिसमें कुछ जान है। अकड़पन तो खास, मुर्दे की पहचान है। अकड़ने से नाहक, तेरा टूटेगा सर।
अगर दर है नीचा, तो झुककर गुजर॥ हम देखते हैं कि चलते-चलते हमारा सिर फूट जाता है तो यह कहते हैं कि दरवाज़ा बहुत छोटा था इसलिए सिर फूट गया। सिर तो इसलिए फूटा क्योंकि हम झुककर चलने के आदी नहीं हैं। सच्चाई तो यह है विनय गुण के सामने बड़े-बड़े क्रूर हृदय भी प्रभावित होकर परिवर्तित हो जाते हैं। ___ मेरा विश्वास है कि मानव-जीवन में माता-पिता द्वारा प्रदत्त संस्कार स्थायी होते हैं। यदि माता-पिता के दिए हुए संस्कारों के साथ दिल में धर्म स्थित है तो कहीं भी जाइए, वे संस्कार नष्ट नहीं होंगे। माता-पिता से प्राप्त संस्कार मृत्यु के अंतिम क्षण तक विद्यमान रहते हैं।
एक विधवा अत्यन्त ग़रीब थी। उसके एक पुत्र था। उस महिला ने अनेक कष्ट उठाकर सिलाई करके, मेहनत-मज़दूरी करके पुत्र को पढ़ा-लिखाकर योग्य बनाया। पुत्र भी बुद्धिमान एवं होशियार था। अपनी योग्यता से वह सेना में भर्ती हो गया। कुछ समय पश्चात् वह एक बहुत बड़ा योग्य अधिकारी बन गया। माँ ने उसे सब कुछ सिखाया पर विनम्रता नहीं सिखायी। वह यह मानता था कि जो कुछ हूँ, वह मैं ही हूँ, दूसरा कुछ नहीं, सब मुझसे छोटे हैं।
एक दिन वह कहीं जा रहा था। रास्ते में बहुत भीड़ थी। उसे पीछे से हल्का-सा धक्का लग गया। क्रोध में आग बबूला होकर वह सामने वाले को मारने लगा। भीड़ एकत्रित हो गई। सैन्य अधिकारी तो वह था ही और फिर
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