Book Title: Bahetar Jine ki Kala
Author(s): Chandraprabhashreeji
Publisher: Jain Shwetambar Panchyati Mandir Calcutta

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Page 28
________________ सक्रियता हो, थकान नहीं आएगी। इसलिए महत्वपूर्ण यह है कि हम केंद्र पर क्या छोड़ रहे हैं। उन्होंने शिष्यों को एक घटना सुनाई। एक बार ब्रह्माजी ने सब देवताओं से पूछा - आप लोगों में से प्रथम पूजने योग्य कौन हैं ? इसके उत्तर में सभी देवता आपस में उलझ गए। तब ब्रह्माजी ने घोषणा की कि पृथ्वी की परिक्रमा करके जो सबसे पहले हमारे पास पहँचेगा, वह प्रथम पूज्य होगा। सभी देवता अपने-अपने वाहनों से चल दिए, लेकिन गणेशजी अपने वाहन चूहे के कारण बहुत शीघ्रता से नहीं चल पाए। वे विचार कर ही रहे थे, उसी समय नारद जी वहाँ पहुँचे और उन्होंने सलाह दी – पृथ्वी पर राम नाम लिख लो और उसकी परिक्रमा करके ब्रह्माजी के पास चले जाओ। उन्होंने ऐसा ही किया। तब ब्रह्माजी ने गणेशजी से प्रसन्न होकर उन्हें प्रथमपूज्य होने का वरदान दिया। गुरुजी ने अपने शिष्यों से कहा – इसका प्रतीकात्मक अर्थ यह है कि केंद्र में यदि राम यानी ईश्वर, एकाग्रता, भक्ति, मौन हैं तो परिधि पर आपकी सक्रियता निश्चित अच्छे परिणाम देगी। इस प्रकार यदि मन को साधने और सुधारने की कला आ जाए तो शुद्ध मन से बड़े-बड़े कार्य संपन्न किए जा सकते हैं । मूलत: मन मैला नहीं होता है संसार की कुसंगति की धूल इसे मैला कर देती है। भक्ति के जल में भिगो कर, ज्ञान का साबुन लगाकर, वैराग्य से रंगने का अभ्यास करके हम अपने स्वरूप को पहचान सकेंगे, वहाँ तक पहुँच सकेंगे। | 27 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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