Book Title: Aptavani 14 Part 1 Hindi
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

View full book text
Previous | Next

Page 12
________________ खुद की समझ पर फुल पोइन्ट (स्टॉप) लगाने जैसा नहीं है। हमेशा कॉमा लगाकर ही आगे बढ़ेंगे। ज्ञानी की वाणी की नित्य आराधना होती रहेगी तो नई-नई स्पष्टता होगी और समझ वर्धमान होने के बाद ज्ञानदशा की श्रेणियाँ चढ़ने के लिए विज्ञान का स्पष्ट अनुभव होता जाएगा। अति-अति सूक्ष्म बातें, विभाव या पर्याय जैसी, पढ़ते हुए यदि साधक को उलझन में डाल दें तो उससे परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। अगर यह समझ में नहीं आया तो क्या मोक्ष रुक जाएगा? बिल्कुल भी नहीं। मोक्ष तो ज्ञानी की पाँच आज्ञा में रहने से ही सहज प्राप्य है, तार्किक अर्थ और पंडिताई से नहीं। आज्ञा में रहने पर ज्ञानी की कृपा ही सर्व क्षतियों से मुक्त करवा देती है। अतः सर्व तत्त्वों का सार, ऐसे मोक्ष के लिए तो ज्ञानी की आज्ञा में रहा जाए, वही सार है। समय, स्थल, संयोग और अनेक निमित्तों के अधीन निकली हुई अद्भुत ज्ञानवाणी के संकलन द्वारा पुस्तक में रूपांतरित होने पर भास्यमान होने वाली क्षतियों को क्षम्य मानकर विभाव और द्रव्य-गुण-पर्याय के अद्भुत विज्ञान को सूक्ष्मता से समझकर, प्राप्त करके आप मुक्ति का अनुभव करें, यही अभ्यर्थना। - डॉ. नीरू बहन अमीन 11

Loading...

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 ... 352