Book Title: Aptavani 14 Part 1 Hindi
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 10
________________ चाहिए, तभी ज्ञानी के अंतर आशय को स्पष्ट रूप से समझ सकेंगे और लिंक अगोपित होगी। आत्मज्ञान के बाद बीस साल तक अलग-अलग व्यक्तियों के लिए परम पूज्य दादाश्री की वाणी टुकड़ों-टुकड़ों में निकली है। इतने सालों में पूरा सिद्धांत एक साथ एक ही व्यक्ति के संग तो नहीं निकल सकता न?! बहुत सारे सत्संगों को इकट्ठा करके, संकलित करके सिद्धांत रखा गया है। साधक एक चेप्टर को एक ही बार में पढ़ लेंगे तभी लिंक रहेगी और समझ में सेट होगा। टुकड़े-टुकड़े करके पढ़ने से लिंक टूट जाएगी और समझ सेट करने में मुश्किल होने की संभावना रहेगी। ज्ञानी पुरुष की ज्ञानवाणी मूल आत्मा को स्पर्श करके निकली है, जो अमूल्य रत्नों के समान है। तरह-तरह के रत्न इकट्ठे होने पर एकएक सिद्धांत की माला बन जाती है। हम तो, हर एक बात को समझसमझकर दादाश्री के दर्शन में जैसा दिखाई दिया, वैसा ही दिखाई दे, ऐसी भावना के साथ पढ़ते जाएँगे और रत्नों को संभालकर इकट्ठे करते रहेंगे तो अंततः सिद्धांत की माला बन जाएगी। वह सिद्धांत हमेशा के लिए हृदयगत होकर अनुभव में आ जाएगा। १४वीं आप्तवाणी पी.एच.डी. लेवल की है। जो तत्त्वज्ञान को स्पष्टतः समझा देती है ! इसलिए यहाँ पर बेसिक बातें विस्तारपूर्वक नहीं मिलेंगी या फिर बिल्कुल भी नहीं मिलेंगी। साधक अगर तेरह आप्तवाणियों की और दादाश्री के सभी महान ग्रंथों की फुल स्टडी करके और समझने के बाद चौदहवीं आप्तवाणी पढ़ेगा तभी समझ में आएगा। अत: नम्र विनती है कि यह सब समझने के बाद ही आप चौदहवीं आप्तवाणी की स्टडी करना। हर एक नया हेडिंग वाला मेटर नए व्यक्ति के साथ हुआ वार्तालाप है, ऐसा समझना। इस कारण से ऐसा लगेगा कि वही प्रश्न फिर से पूछ रहे हैं लेकिन गहन विवरण मिलने के कारण संकलन में उसका समावेश किया गया है। एनाटॉमी (शरीर विज्ञान) में दसवीं, बारहवीं कक्षा में, मेडिकल

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