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( अनुभव का उत्पल
आवेग
अपनी सम्पति में धैर्य होता है, पर-सम्पत्ति में आवेग। पानी का पूर आता है, तटवर्ती वृक्षों को धराशायी करता चला जाता है। पर्वत के पानी का उसमें क्या बिगड़ा? शोभा नदी की घटी, तट नदी का टूटा।
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