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- अनुभव का उत्पल)
समता का क्षितिज
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वह दिन मेरे जीवन में अपूर्व होगा जिस दिन किसी भी व्यक्ति पर मेरी अधीनता नहीं होगी, दबाव नहीं होगा और उसकी दुर्बलता या विवशता का मेरी क्षमता के द्वारा शोषण नहीं होगा। स्वतंत्रता जितनी मुझे प्रिय है, उतनी ही दूसरों को प्रिय है। दूसरों की स्वतंत्रता को सीमित कर क्या मैं अपनी स्वतंत्रता को असीम रख सकता
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