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विष : अमृत
जिसमें विष नहीं होता उसे कोई नहीं सताता । सताया वही जाता है, जो जहर उगलता है। इस सत्य को समझ लेने पर जहर अमृत बन जाता है।
अमृत को जहर बनाने वाले विरले ही होते हैं। जहर को अमृत वही बना सकता है, जिसमें जहर
न हो।
अनुभव का उत्पल
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