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अनुभव का उत्पल..
शक्ति-स्रोत
तुम विकास चाहते हो तो निश्चित मानो कि दूसरे के विनाश का विचार मन में भरकर तुम विकास नहीं कर सकते। विकास ही विकास का विचार मन में भरो। वह स्वयं खिंचा खिंचा आएगा।
तुम शान्ति चाहते हो तो निश्चित मानो कि जलन का विचार मन में प्रज्वलित कर तुम शान्ति नहीं पा सकते। शान्ति ही शान्ति के विचार से मन को भरो, वह स्वयं तुम्हारा वरण करेगी।
मन को जलाओ, उसके आलोक में अपने आप को ढूंढो। तुम स्वयं देख पाओगे कि तुम अनन्त शक्ति के स्रोत हो।
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