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अनुभव का उत्पल
सत्य का आवरण
जिसने अपनी धारणा की खिड़की से सत्य को देखा है, वह सत्य से दूर भागा है। जिसने तथ्यों की खिड़की से सत्य को देखा है, देखने का प्रयत्न किया है, वह सत्य के निकट पहुंचा है।
यदि इस संसार में अपनेपन का आग्रह नहीं होता तो सत्य का मुंह आवरणों से ढका नहीं होता।
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