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(अनुभव का उत्पल
बड़ी : छोटी
उद्देश्यहीन प्रवृत्ति बड़ी होकर भी अकिंचित्कर हो जाती है और उद्देश्य प्रधान प्रवृत्ति छोटी होकर भी बहुत बड़ी हो जाती है।
___सफलता का मार्ग यही है कि कार्य के अनुरूप प्रयत्न हो। अल्प अनुष्ठान के लिए अल्प प्रयत्न और महान् अनुष्ठान के लिए प्रयत्न भी महान् हो।
-(१७३)
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