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अनुभव का उत्पल
तर्क और प्रेम
तुम्हारा मन तर्क से भरा है, इसका अर्थ मैं समझता हूं वह प्रेम से खाली है।
मैंने देखा- अप्रियता में तर्क वैसे उभरते हैं, जैसे पित्त-प्रकोप में शरीर में चकत्ते।
प्रियता में वे वैसे ही विलीन हो जाते हैं, जैसे प्रकाश में अंधकार।
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