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— अनुभव का उत्पल
अनुभव का उत्पल )
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अनुशासन
अनुशासन एक कला है। उसका शिल्पी यह जानता है कि कब कहा जाए और कब सहा जाए। सर्वत्र कहा ही जाए तो धागा टूट जाता है और सर्वत्र सहा ही जाए तो वह हाथ से छूट जाता है।
हर आदमी चाहता है मेरा अनुशासन चले पर यह नहीं चाहता कि मैं अनुशासन में चलूं। उसे अनुशासन करने का कोई अधिकार नहीं है, जो अनुशासन में नहीं रह चुका है।
अनुशासन जीवन की सर्वोच्च उपलब्धि है। उसमें रहना कठिन है तो उसमें दूसरों को रखना कठिनतर है।
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