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अनुभव का उत्पल
विसर्जन
मैं हूं इतना- सा बस "मैं हूं", शेष सब मैं नहीं हूं। उस पर मेरा अहं नहीं हो सकता। वह सब उसी का है, जिसने उसे निर्मित किया है।
-(१५२)
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