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(अनुभव का उत्पल)
पर्दे के उस ओर
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मैं ढूंढ रहा था भगवान् को। भगवान् ढूंढ रहे थे मुझे। अकस्मात् हम दोनों मिल गए।
न तो वे झुके और न मैं भी झुका। वे मुझसे बड़े नहीं थे, मैं उनसे छोटा नहीं था।
पर्दा मुझे उनसे विभक्त किए हुए था। वह हटा और मैं भगवान् हो गया।
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