________________
氣
अनुभव का उत्पल
सिद्धान्त और अनुभूति
आज आलोचकों की भरमार है। मौलिक स्रष्टा कम हैं और बहुत कम। कारण सैद्धान्तिकता अधिक है, अनुभूति कम ।
सिद्धान्तवादिता से आलोचना प्रतिफलित होती है और अनुभूति से मौलिकता ।
सिद्धान्त से मौलिकता नहीं आती, मौलिकता के आधार पर सिद्धान्त स्थिर होते हैं।
Jain Education International
४९
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org