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____(अनुभव का उत्पल)
अनुभव का उत्पल
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इच्छा और सुख
जिसकी सारी कामनाएं मिट चुकीं, वह कितना सुखी होगा? यह अनुभव की वाणी है। तर्क से इसका कोई लगाव नहीं।
जो अपने को अकिंचन मानता है वह तीन लोक का अधिपति है।
जो सब पर ममत्व रखता है वही सबसे बड़ा दरिद्र है।
तर्क की भाषा में जो अधिक सम्पन्न है, वह अधिक सुखी है। किन्तु वस्तु सत्य ऐसा नहीं है।
__बहुत सारे लोग साधन सम्पन्न होते हुए भी तिलमिला कर जीते हैं। बहुत सारे साधनहीन होते हुए भी आनन्द का जीवन जीते हैं। जो पूरा सुखी होता है उसमें इच्छा नहीं होती। जिसमें इच्छा होती है, वह पूरा सुख नहीं होता। इच्छा सुख की कमी का चिह्न है।
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