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— अनुभव का उत्पल)
अनुभव का उत्पल
दो वाद
कहीं श्रद्धा होती है, बुद्धि नहीं होती। कहीं बुद्धि होती है, श्रद्धा नहीं होती।
कहते हैं, श्रद्धा अन्धी होती है, बुद्धि लंगड़ी। श्रद्धालु चलता है और बुद्धिमान् देखता है। ये दोनों अधूरे हैं। पूर्णता इनके समन्वय से आती है।
प्रतिभा का सम्बन्ध मस्तिष्क से है और वैराग्य का हृदय से। विश्वास हृदय से जुड़ता है तभी उसका सम्बन्ध मस्तिष्क से होता है।
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