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पडेगा ।
अनुभव का उत्पल
निवृत्ति और प्रवृत्ति
तुम निवृत्ति की ओर चलो, प्रवृत्ति का स्रोत फूट
तुम निष्क्रिय बनो, सक्रियता प्रबल हो उठेगी। अरूप बनो, तुम विश्व को रूप दे सकोगे !
गहराई में डूबो तुम स्तूप खड़े कर सकोगे ।
"
मन्थर गति से चलो, तुम वेग दे सकोगे।
आंखें मूंद कर देखो, फिर मार्ग दूर नहीं होगा ।
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