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अनुभव का उत्पल
सत्य दर्शन
तुम्हे देखने का अर्थ है अपने आप को देखना । काँच को कोई इसलिए नहीं देखता कि वह काँच को देखे । उसे देखने का अर्थ है अपने आप को देखना ।
प्रकाश भी आवरण है और तिमिर भी आवरण है। तुम्हारी आँखे धुंधली है। इसलिए सूरज के आवरण में तारे छिपे हुए हैं।
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