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न
अनुभव का उत्पल
भला वही
बुराई करने वाला अवश्य ही बुरा होता है पर बहुत अच्छा तो वह भी नहीं होता जो बुराई के भार से दब जाये ।
बुराई को पैरों से रौंदकर चलने वला ही अपने मन को मजबूती से पकड़ सकता है।
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