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अनुभव का उत्पल
शान्ति कैसे मिले?
शान्ति कैसे मिले? यह एक प्रश्न है, जो सबसे बड़ा और पहला प्रश्न है। एक छोर समृद्धि का है, दूसरा गरीबी का। दोनों ओर ध्वनि होती है- शान्ति कैसे मिले?
गरीबों के पास धन नहीं है, उन्हें धन के भीतरी रूप का परिचय नहीं है। वे उसके बाहरी रूप पर झूमते हैं। उनके लिए अभी सर्वोपरि आकर्षण धन है। वे कहते हैं- शान्ति कैसे मिले? इसका अर्थ है कि धन कैसे मिले?
__ धनी लोग धन का भीतरी रूप देख चुके हैं। वे जानते हैं, धन और सब कुछ देता है, अच्छी रोटी, अच्छा कपड़ा, अच्छा मकान पर विश्वास को निगल जाता है
और चट कर जाता है प्रेम को। धनी को अपने बेटे का भी विश्वास नहीं होता और प्रेम नहीं होता अपनी पत्नी से भी। विश्वास और प्रेम की गरीबी में उनकी अन्तरात्मा पुकार उठती है- शान्ति कैसे मिले?
इसका अर्थ है कि विश्वास और प्रेम कैसे मिले? गरीब धन के लिए तड़प रहे हैं और धनी तड़प रहे हैं विश्वास और प्रेम के लिए। शान्ति मिली उसको जो न गरीब था और न अमीर, किन्तु जिसके पास था- विश्वास और प्रेम।
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