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अनुभव का उत्पल
शांति और आकांक्षा
भौतक जीवन का स्तर ऊँचा होगा, आवश्यकताएं बढ़ेंगी, शान्ति कम होगी। अध्यात्मिक जीवन उन्नत होगा, आवश्यकताएं कम होंगी, शान्ति बढ़ेंगी ।
आवश्यकता है वहां श्रम होगा, अशान्ति नहीं ।
आवश्यकता की पूर्ति सम्भव है, आकांक्षा की पूर्ति असम्भव ।
पदार्थ के अभाव में अशान्ति और भाव में शान्ति ऐसी व्याप्ति नहीं बनती। मानसिक नियन्त्रण से मानसिक साम्य होता है और वही शान्ति है । मानसिक अनियन्त्रण से मानसिक वैषम्य बढ़ता है, वही अशान्ति है।
जहां आकांक्षा है, वहां अशान्ति है और जहां आकांक्षा नहीं है, वहां शान्ति है।
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