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अनुभव का उत्पल
ऊंचाई की आत्मा
सफलता के साथ-साथ बढ़ने वाली लघुता दायित्व को और गंभीर बना डालती है। साधना से मिली ऊंचाई परम्परा से पाई हुई ऊंचाई को और भी ऊंचाई प्रदान करती है। सौंपी हुई ऊंचाई नापी जा सकती है। वह ऊँचाई का शरीर है। साधना की ऊंचाई, ऊंचाई की आत्मा है। वह अमाप्य होती है।
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