Book Title: Akhyanakmanikosha
Author(s): Nemichandrasuri, Punyavijay, Dalsukh Malvania, Vasudev S Agarwal
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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प्रतिपरिचय और परिशिष्टपरिचय
[ ३
संशोधन
उपरोक्त दो प्रतियों के आधार से संपादन करते हुए जहाँ कहीं दोनों के पाठ अशुद्ध थे उन के स्थान पर हमने मूल में स्वकल्पित शुद्ध पाठ रख दिये हैं और उन पाठों पर टिप्पणी का अंक देकर नीचे टिप्पणी में दोनों प्रतियों के संकेत दिये हैं। अर्थात् जिस टिप्पणी में 'खं०' और '२०' दोनों संकेत मुद्रित हों वहाँ मूल में छपा हुआ पाठ को संपादक द्वारा कल्पित है ऐसा समझना । इस प्रकार के स्थल कुल ग्यारह हैं।
जहाँ टिप्पणी में प्रतिसंकेत के स्थान में 'प्रतो' शब्द लिखा हो वहाँ भी मूल पाठ संपादक का ही समझना चाहिये और 'प्रतो' का अर्थ 'खं०' और '२०' समझना चाहिए । '२०' संज्ञक प्रति के मिलने के पहले हमारे सामने केवल खं०' संज्ञक ही प्रति थी अतः उसी के आधार से पाठसंशोधन करते समय 'प्रतौ' ऐसा लिखा गया था। बाद में '२०' संज्ञक प्रति के मिलने पर भी 'प्रतौ' संकेत कायम रक्खा गया है । ऐसे केवल चार स्थल हैं । ऊपर बताये गये ग्यारह स्थल और ये चार-इस प्रकार कुल १५ स्थलों में हमने स्वयं पाठ को शुद्ध कर के मूल में दिया है और दोनों प्रतियों के पाठ नीचे टिप्पणी में निर्दिष्ट किये हैं।
इसके अलावा अपनी ओर से जोड़े गये मूल पाठों को [ इस प्रकार के कोष्ठक में रखा है । जहाँ कहीं अशुद्ध पाठ मिले हैं उन्हें उसी तरह रखकर हमने अपनी ओर से कल्पित शुद्ध पाठ को ( ) इस प्रकार के कोष्ठक में रखा है।
परिशिष्टपरिचय प्रथम परिशिष्ट (पृ. ३७१ से ३८४ )
इस ग्रन्थ में आये हुए विशेषनामों का परिचय अकारादि कम से पृष्ठांकों के साथ दे दिया है । द्वितीय परिशिष्ट (पृ. ३८५ से ३९२)
यहाँ प्रथम परिशिष्ट में आये हुए विशेष नामों को कुल अठासी विभागों में विभक्त कर के उन विभागों को अकारादि क्रम से दे कर प्रत्येक विभाग में समाविष्ट विशेष नामों की सूची अकारादि क्रम से दी गई है। तृतीय परिशिष्ट (पृ. ३९३ से ३९७)
प्रसिद्ध और अप्रसिद्ध जो कोई देश्य शब्द इस ग्रन्थ में मिले हैं वे सब (दे०) संकेत कर के दे दिये गये हैं । आ० श्री हेमचन्द्राचार्यकृत देशीनाममाला में जो शब्द नहीं आये हैं उन्हें * इस प्रकार के चिह्नों से चिह्नित किया है। उनके अर्थ और पृष्ठाङ्क भी दे दिये हैं । इसके अतिरिक्त 'पाइअसद्दमहण्णवो' में जो प्राकृत शब्द नहीं हैं उन शब्दों का संग्रह भी यहाँ किया गया है । उनका अर्थ और पृष्ठाङ्क भी दिया है ।
१. पृ.१७ टि. १, पृ०१.. टि. २, पृ.१०१ टि. २, पृ०१०६ टि. १, पृ०१०६ टि. २, पृ.१२२ टि. १, पृ.१२३ टि. १, पृ०१२३ टि. २, पृ.१६७ टि. १, पृ.१८१ टि. ३, और पृ०२२५ टि. १ ॥
२. पृ. ११३ टि. १, पृ. २२८ टि. १, पृ. २५५ टि. २, पृ. ३५३ टि. १ ॥
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