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हमारी जीवन-शैली और अहिंसा
स्वार्थ पर ही आधारित जीवन-शैली की ओर मत देखो, केवल उपयोगिता के आधार पर जीवन-शैली की ओर ही मत देखो, जीवन का एक दूसरा पहल है । उसे भी देखना सीखो। हमने दूसरे पहल को देखना कभी सीखा नहीं। एक आंख ही हमारी काम करती है। हम एक पहलू को ही जानते हैं, देखते हैं, पहचानते हैं। जीवन का दूसरा पक्ष भी है जो बराबर का पक्ष है, पर हमारी आंख सदा मूंदी की मूंदी रहती है। हमने सही अर्थ नहीं समझा अहिंसा का, हमने ध्यान ही नहीं दिया इस पर ।
एक छोटी-सी कहानी है। दामाद ससुराल में गया। गांव का व्यक्ति था और ससुराल शहर में था। गांव में तो रोटियां बड़ी-बड़ी बनाते हैं और शहर में रोटी-फुलके छोटे बनाते हैं। वह जब खाने को बैठा तो पूरी की पूरी रोटी का एक-एक ग्रास लेने लगा । सब हंसने लगे। उसकी पत्नी भी बैठी थी। उसने सोचा-बड़ा भद्दा लगेगा कि कितना अनजान है, गंवार है, कुछ जानता ही नहीं है। पूरी की पूरी रोटी का एक ही ग्रास लेता है, एक ही कौर लेता है। उसने सोचा कि क्या करें ? पुराना जमाना था। इतने लोगों के बीच में कहना भी अच्छा नहीं लगता। उसने संकेत से और इशारे से समझाना शुरू किया। दो अंगुली से संकेत दिया कि दो-दो टुकड़े करके खाओ, पूरी रोटी एक साथ मत खाओ। उसने संकेत को ठीक समझा नहीं। सोचा, शायद यहां की परंपरा है कि एक-एक रोटी खाना ठीक नहीं है। उसने दो-दो खाना शुरू कर दिया। एक के बजाय दो रोटियां एक साथ चलने लगीं। लोग हंसने लगे । पत्नी ने लज्जा से मुंह ढक लिया। अहिंसा का संकेत
हमने भी अहिंसा के संकेत को समझा नहीं। अहिंसा का संकेत है-दोनों पक्षों को देखो। एक ही पक्ष को मत देखो, दोनों को देखो। व्यवहार को देखते हो तो परमार्थ को भी देखो। दूसरे को देखते हो तो अपने आपको भी देखो। इस संकेत को हम नहीं समझ पाए । जो एक पक्ष था व्यवहार को देखना, दूसरे को देखना, इससे हम व्यवहार में अधिक चले गए और दूसरे को अधिक देखने लग गए। हम स्वयं अपना विश्लेषण करें। हम पूरे दिन दूसरे को देखते हैं कि दूसरा क्या करता है, दूसरा हमारे लिए क्या कर रहा है। कोई भी गलती होती है तो आदमी अपने आपको बचा लेता है, गलती दूसरे पर आरोपित करता है। उसने ऐसा कर दिया है। रसोई में घी का बर्तन पड़ा है। बहू चली, ठोकर लगी और घी ढल गया। सास बोली, अंधी है, देखकर नहीं चलती। घी को नीचे गिरा दिया ? यह दूसरे पर दोषारोपण हो गया। दो-चार दिनों के बाद वहीं बर्तन पड़ा था। सास जा रही थी, ठोकर लगी और घी नीचे गिर गया। तत्काल सास बोली, कितने
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