Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
View full book text
________________
१
अष्टमांग-अंतगह दशांग सूत्र 18g
महता रायवण्णतो ॥ ९ ॥ तेणं तत्यसमुदविजयपामक्खिाणं दसहंदसाराण, बल. देवपामोक्रवाणं पंचण्हमहावीराणं, पाजणपामावखाणं अदृष्टानकमारकोडीणं, सांचपामेवाण, सट्रिए दवंत साहस्मीज, महापामोमगाणं गाएबलवरम साहसी, बीरसेणचामावरून एगवीसाए वीरसहरण, उमाणकामावरखा सोलसाहराय सहरसेणं, रुप्पिणिपामोखाणं सोलसण्यांदे पीसहरितणं, अनसणं पामोरखाणं अणेगाणंगणया साहस्सीणं. अण्णसिंच बहगं राईसर जव सत्थवाह प्पभित्तिए बारवत्तिए णयरीए अहभरहस्सयसमंतस्स आहेबच्चं जाव विहरई ॥१०॥
प्रथम-बगेका प्रथम अध्ययन-
अर्थ
ओं के उत्तम गुण युक्त वर्णन करने योग्य थे ॥९॥ उनके वहां-१ समुद्र विजय, २ अक्षोभ, ३स्तिजमित, ४ सागर, ५ हिमवन्त, ६ अचल, ७ धरन, ८ पूरन, . अभीचन्द्र और १० वामदेव या दशों ही
दसार, सर्व पुरुषों में साररूप थे. बलदेव प्रमुख पांच महावीर थे, प्रधुना प्रमुख अउट कोड (३॥ क्राड) कमार थे, मांब प्रमुख साठ हजार दुईन्त थे, महासन प्रमुख छप्पन हजार बलवन्त पुरस थे, वीरसेन प्रमुख इक्कीस हजार वीरों थे, उग्रसेन प्रमुख सोला हजार मुकट इन्ध देशाधिपति ] राजा भी थ, रुकमनी प्रमुख सोलह हजार रानीयों थी. अनंगतेना प्रमुख अंक हजार वैश्याओं थी, इन सिवाय और भी बहुत से सामान्य राजाओं, ईश्वरों, युवराजाओं, सार्थवादियों, यावर प्रभृतिक और द्वारका नगरी आधा भरतक्षेत्र
2018
4
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org