Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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+ अष्टमांग-अंतगड दशांग मूत्र
अजं आपुच्छइ २ त्ता जाव सलेहणा जाव - कालं अणवकंक्खमाणा विहरति २ ॥ तसेणं सा महासेण कण्हा अजा चंदणाते अजा अंतीते सामाइमाइयाइं एकारस्स अंगाई अहिजित्ता बहुपडिपुण्णाति सत्तरस्स वासाइं परिया पाउणित्ता, मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसिया सट्ठिभत्ताई अणसणा छेदित्ता जस्स मुडं किरति जाव तमढें आराहेति, चरमेहि उस्ससणिसासेहि सिद्धाहिं बुद्धाहिं ॥ इतिइसमं अज्झणं सम्मत्तं ॥ ८ ॥ १० ॥ गाथा ॥ अट्ठय वासा आदिए उत्तारियाए जाव सत्तरस्स ॥
एसो खलु परियातो, सेणय भजाण णायव्यो ॥ १ ॥ एवं खलु जंबू ! समणेणं तब महा कृष्ण आर्जिका चंदनवालाजी के पास सामायिकादि इग्यारे अंग पढी थी उमे याद करती हुई। बहुत प्रतिपूर्ण सत्तर वर्ष संयम प.लकर, एक महीने की सलेपना कर आत्मा को झोंस साठ भक्त अनशन .. छेद कर जिम के लिये उठी थी यह कार्य किया यावत अन्तिम श्वासोश्वास बाद सिद्ध मत्र दुःव का अन्तकिया ॥ इति अष्टम बर्ग का दशम अध्ययन ॥ संपूर्ण ॥ ८ ॥१०॥ गाथार्थ-प्रथम काली आनिकाने पाठ वर्ष संयपाला,दूरी सकाली२वर्ष, तीसरीने १०वर्ष यों एकेक वर्ष बडाते दमवीने है। सत्तर वर्ष संयम पाला. इस प्रकार निश्चय श्रेणिक रामा की राणीयों का संयम का काल जामना ॥ १ ॥
अष्टम-बगेका दशम अध्ययन 498-800
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