Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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चालयमचारीमुनि श्री. अमोलक ऋषिजी +
* नयर होत्था वण्णा ॥ ३ ॥ तस्सणं भदिलपुर णयरस्स बहिया उत्तरपुरच्छिमि दिसिभाए सिरिवणे णाम उजाणे होत्था वण्णओ ॥ ४ ॥ जिससुणामं रायाहोता ॥ ५॥ तत्थणं भहिलपुरे नयरे नागनाम गाहावइ परिवसइ अढा जाव. अपरिभूए
॥ ६ ॥ तस्सणं नागस्स गाहवइस्स सुलसानामं. भारिया होत्था, सुकुमाला जाव ई सुरूवा ॥ ७ ॥ तस्सणं नागस्स गाहावइस्स पुत्ते सुलसाए भारियाए अत्तते अनि
यसेण नामे कुमार होत्था? सुकुमाल जाब सुरूव,पंचधाति परिक्खित्ते तंजहा-खीरधाइ का नगर वर्णन करने योग्य था ॥ ३ ॥ उस महिलपुर नगर के बाहिर ईशान कौन में श्रीवन नाम का उधान था वरण याग्य ॥ ४ ॥ यहां जित शत्रुनाम का राजा रान करता था ॥५॥. उस भहिल पुरनगर । में नाग नामक गाथापति रहता है, वह ऋद्धिवंत यावत् अपराभवितथा ॥ ६ ॥ उस नाग नामा गाथापति के सुलसा नाम की भारिया थी, वह शरीर की 'सकुमाल और सुरूपवतीथी ।। १ ।। उस नाग गाथापति, का पुत्र सुलसा का आत्मज अनिकसेन नाम का कुमार था वह सुकुमाल और सुरूप था, पांच धायकर परिवरा हुवा, उन के नामरक्षीर (दुधपिलाने वाली) धायमाता,२स्नान कराने वाली,३ सिनगार कराने वाली १४ गोदी में खिलाने वाली और बाहिर क्रीडा कराने वाली, इन पंचों धाइयों के परिवार से परिवरा उबावाइ सूत्र में कहा द्रढ प्रतिज्ञ कुमार के जैसा यावत् जैसे पर्वत की कंदरा में मालतीका बृक्ष चम्पाका वृक्ष
..प्रकाशक-समाबहदुर लाला सुरु
जी ज्वालाप्रसादजी
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