Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
View full book text
________________
agg><अष्टमांग-अंतगड दशंग सूत्र *
कुमारहिय, कुमारियाहिय, सदिसंपरिबुडे; सातो गिहातो निक्खमह २ सा. जेणेव . इंदट्ठाणे तेणेव उवागच्छइ २ ता, तेहिं बहुहिं दारएहिय जाब परिवुडे आभिरम्स माणे २ विहरत्ति ॥६॥ तत्तेणं भगवं गोयमे पोलासपुरे णयरे उच्चनीय जाव अडमाणे इंदट्ठाणस्स अदूरसामंतेणं वितिवयंतिमाणे पासइ २त्ता॥ ६ ॥ तत्तेणं से अइमुत्ते कुमारे भगवं गोयमं अदूरसामंतेणं वितिवयमाण पासइ, जेणेव भगवं गोयमें तेणेव उवागच्छइ २ ता भगवं गोयमं एवं वयासी-केणं भंते ! तुब्भे, किंवा अडह ? ॥ ७॥
तएणं भगवं गोयमे अइमुत्तं कुमारं एवं वयासी-अम्हणं देवाणुप्पिया! समणे लड के लड की कुमार कुमारीका के साथ परिवरा हुवा अपने घर से निकला. निकला कर जहां इन्द्रक
खेलने का स्थान था तहां आया, आकर उन ही लडके लडकी कुमार कुमारिका के साथ परिवरा हुवाई ॐ क्रीडा करते हुवे विचरता था ॥ ६॥ भगवंत गौतय स्मामी पोलास पुर नगर में भिक्षार्थ फिरते हुवे उस 3e
इन्द्रस्थ स्थान के पास हो जाते हुवे अतिमुक्त कुमारने देखे, उसीचक्त जहां भगवंत गौतम स्वामीजी थे। तहां आया आकर भगवंत गौतम स्वामी से इस प्रकार बोला- कहो भगवन् ! आप कौन हो? और किस कारण फिरते हो ? ॥ ७ ॥ तब भगवंत गौतम अतिमुक्त कुमारा से यों बोले-ई देवानुप्रिय ! हम निग्रन्थक
48848 षष्टम-वर्गका पंचदश अध्ययन
For Personal & Private Use Only
Jain Education International
www.jainelibrary.org