Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari

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Page 137
________________ त्र 08 430 wwmvinamrunna *EEEEEEEEEEEEETasty - अहमांग अंतगड दशांग मूत्र 4 उपसं पाजताणं विहरति, तंजहा-चउत्थं करेति २ त्ता, ५ भद्र प्रतिमा. सव्वकामगुणियं पारेता २, छटुं करेति २ ता सव्व १।२।३।४।५ कामं गु०, अट्ठमं करेति २ त्ता, सव्वकाम गुण०, ३।४।५।५।२. दसमं करेति २ त्ता, सय काम गुणं, दुवाल सम ४२३४।५।१ करेति २, ता सबकाम गुण ० अट्ठमं करेति २ त्ता, ४।५।११२।३ Paasaasaassaasdasti भद्रपतिमा तपके तपा सवकाम गुण ०, दसमं करेति २ ता, सव्व काम दिन७५पारण२५ गु०, दुवालसमं करेति २ त्ता, सव्व काम०, चउत्थं करेति २, सयकाम, छटुं करेइ २, सव्व तयथा-चौथ भक्त किया, करके सर्व प्रकार के रसोपभोग भोगकर पारना किया, ऐसे ही छउ भक्त का पारना किया, अष्टम भक्त का पारना क्रिया, दशम भक्त कर पारना किया, द्वादश भक्त कर पारना, Y० किया, अष्टप भक्त कर पारना किया, दशम भक्त कर पारना किया, द्वादश भक्त कर पारना किया, च उत्थ भक्त कर पारना किया, छठ भक्त कर पारना किया, द्वादश भक्तकर पारना किया, चौथमा अपश्य-वर्गका अष्टम अध्ययन 43 992989999999ct Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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