Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari

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Page 140
________________ THREESECRECE5563 अनुवादक-वालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी 87 198666000000000ccceeds सर्वतोभद्र प्रतिमा. सबकाम., सोलसमं करेइ,सवकामगुण, एकालया lessSECcccesssessess श३.४ादा। ॥ १ ॥ दशमं करेति, सव्वकामगुण., दुवालसमं ७४।६।७।१२। करेती सम्वगुण. चौदशमं करेती सव्व० सोलसमं ७ . २ ३ ।४।५। करेती सव्व ० चउत्यं करेति स• छटुं करेति सब. ।७।१।२।३।४।५ अट्टमं करेति सव्व वीयालया ॥ २ ॥ सलसमं करेति २१३।४।५।६। । सम्बकामगण. चउत्थं करोति. सव्यकामा छटंकरेति. द ६ ।८। ३।३।४ namasaamaanaamarpaipaat सचकामगण, अट्रेकरेति, सव्वकाम०, दसमं करेति, महाभद्रमतिमातका तपी र दिन११६पारण ४१. सत्यकाम, दवालसमं करति २, सधकाम., चादसम 2093333333333892202927 किया, द्वादश भक्त कर पारना किया, चौदह भक्त कर पारना किया, सोले भक्त कर पारना किया, यह प्रथमलता ॥ १॥ दशम भक्त कर पाना किया, दाश भक्त कर पारसा दिया, चौदह भक्तकर पारना किया, सोला भक्त कर पारना किया, चौय भक्त कर पारा किया कर पारना किया, अष्टम वक्त कर पारना किया, यह दूसरीलता ॥२॥ सोलह भक्त कर पाना किया, चौथ भक्स कर पारना किया, छउ भकत कर पारना किया, अष्म भक्त कर पारना क्रिया दशम भरा कर पारना किया। * प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेवमहायजी ज्वालाप्रसादजी अथ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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