Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari

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Page 141
________________ 342 करेति २, सव्वकामगु० तइयालया ॥ ३ ॥ अमं करेइ २, सव्वकाम ०,दशकर २ सव्वकागु• दुवालस्समं करेइ २, सबकाम०, चोदसमं करेइ२, सबकामं०, मोलसमं करेइ२, सव्यकाम, चउत्थं करेइ२, सबकामगु० छ? करेइ २ त्ता, सव्वकाम गुणं पारेइ २ त्ता, चउत्थीलया ॥ ४ ॥ चउदसमं करेइ २, सबकाय०, सोलसमं करेइ २, सव्वकाम०, च उत्थं करेति २, सव्वकाम, छटुंकरेति, सव्वकाम• अट्टमं करेड २. सव्वकामगणं, दसमकरति. सव्वकाम.. दवालस्सम २. सव्वकाम, पंचमलया ॥५॥ छटुं करेइं२, सव्वकाम०, अट्ठमं करेइ २, सव्वकाम, दसमं करेइ, दादश भक्त कर पाना किया, चौदह भक्त कर पारना किया, तीसरीलता ॥ ३ ॥ अष्टम भक्म कर पारना किया, दशम भक्त कर पारला किया, द्वादहा भक्त कर पारना किया, चौदह भक्त कर पारना किया, सोला भक्त कर पारना किया, चौथ भक्त कर पारना किया, छठ भक्त कर पारनाई किया, चौथीलता ॥४॥ चउदा भक्त कर पारना किया, सोला भक्त कर पारना किया, चौथ भक्त कर Joपारना किया,छठ भक्तकरपारना किया,अष्टम भक्तकर पारना किया,दशम भक्तकर पारना किया.द्वादश भक्त कर मारना किया पांचवीलता ॥५॥ छउ भक्त कर पारना किया, अष्टम भक्तकर पारनाकिया,दशम भाकर पारना । अष्टमांग-अंतगड दशांग सूत्र+438 अष्टप-वर्गका सप्लप अध्ययन ** For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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