Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari

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Page 146
________________ मा अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी - कामगु० चउत्थंकरेइ,सव्वका सोलसमं करेइ,सम्यकाम गुण चउत्थंकरेइ,सम्वकाम, अट्ठारसम,सम्वकाम०,वीसइमं करेइ,सब्वकाम, चउत्थं०, सबकाम, वारीसमंकरे, सव्वकाम चउत्थंकरे०,सब चउवीसमंकरे०,सव०,चउत्थंकरे,सव्व०,छवीसमंकरे, सच काम, चउत्थंकरे०, सव्वका०,तीसमंक०, चउत्थंकरे०, सव्व०, बत्तीसमंकरे, सव्वका;चउत्थकरे सव्वका० चौतीसमंकरे,सव्व. चउत्थंकरे सन्नचोतीसमंकरे, सव्व० चउत्थकरे सव्वं बतीसमंकरे., सव्वका• चउत्थंकरे, सब्व का. एवं तहेव उसारती२जाव चउत्थ, करेतिरत्ता,सव्व कामगुण पारेति॥१॥एक्कस परिवाडिए कालो पारना किया,अठारा भक्त कर पारना किया,चौथ भक्त कर पारना किया,बीस भक्त कर पारना किया,चौथ भक्त कर पारना किया,शवीम भक्त कर पारना किया,चौथ भक्त कर पारना किया,चौवीस भक्त कर पारना किया.चौथ भक्त कर पारना किया,अट्ठावीस भक्त कर पारना किया,चौथ भक्त कर पारना किया,तीस भक्तं . कर पारना किया,चीय भक्त कर पारना किया,बत्तीस भक्त कर पारना किया,चौथ भक्त कर पारना किया, चौतीस भक्त कर पारना किया,जीथ भक्त कर पारना किया। इस प्रकार सोलह उपवास कर वाचरमें एकेक उपार कर चंडे, फिर बत्तीस भक्त(सोला)उपवास कर पारना किया. चौथ भक्तकर पारना.किया, तीस भाकर पारना किया यों पं उतरे यावत् चौय भक्तकर मर्व प्रकारके रसापभोग कर पारना कियः॥१॥ *प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवमहायजी ज्वालाप्रसात www.jainelibrary.org For Personal & Private Use Only Jain Education International

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