Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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मुनि श्री अमोलक ऋषिजी +
- कामीयालया ॥ ३ ॥ चौदसमं करेइ, सव्व का०, सोलसमं करेइ, सव्व काम०,
अट्ठारसमं करेइ, सव्वका. वीसमं करेइ, सव्व काम • दुवालसमं करेइ०सव्व काम. चउत्थी लया ॥ ४ ॥ अट्ठारसमं करेइ, सव्व कामगु०, वीसमें करेइ, सव्व काम. दुवालसमं करेइ, सब काम चोदसमं करेइ, सव्व काम गु० सोलसमं करेइ, सव्व काम०, पंचमलया ॥ ५॥ एकालो छमासा वीस दिवसा ॥ चउण्हं कालो दो वरिसा दोमासा वीसय दिवसा ॥ सेस तहेव जाव जहा काली, जाव सिद्धा
॥ ६ ॥ अट्ठमं अज्झयणं ॥ ८॥ ८ ॥. एवं पियसेणाकण्हावि, णवर मुत्तावली. पारना किया, सोलह भक्त कर पारना किथा, अठारह भक्त कर पारना किया, तीसरीलता ॥३॥ चौदा भक्त कर पारमा किया, मोला भक्त कर पारना किया, अठारा भक्त कर पारना. किया, बीस भक्त करना क्रिया, द्वादश भक्त कर पारना किया, चौथीलता ॥ ४ ॥ अठरा भक्त कर पारना किया, वीस भक्त कर पारना किया, बारा भका कर मारना किया, चौदह भक्त कर पारना किया, सोलह भक्त कर पारना किया, पाचवीलता ॥५॥ इसमे की एक परिवावी को छ. महीने वीसदिन लगते रेवाडीकाकालदोवर्ष दोपहीने वीस दिन होता है। शेष तैलेही जानना.जैसा काली रानीका कहा यावत्। ।। आठवा अध्ययन ॥८॥८॥ ऐसे ही प्रियसेन कृष्णाराणीका भी, विशेष में-मुक्तावली तपकर्म किया है।
प्रकाशक राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायेजी ज्वालाप्रसादजी
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