Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari

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Page 138
________________ 49 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी+ काम; दुवालसभं करेति, सव्व काम• चउत्थं करेति, सब काम०, छट्टे करति २, सव्व कामगुण. अठम करेइ २, सयकाम०, दसमं करेति २, सव्व काम • छटुं करेति २; सबकाम• अट्ठमं करेइ २, सबकाम०, दसमं करेइ २, सवकाम०, दुवालसमं करेति २, सव्वकाम०, चउत्थं करेति, २ सव्यकाम गु०, दसमं करेति २, सव्व काम गु. दुवालसमं करेति २. सव्यकाम २, चउत्थं करेउ २, सव्वकाम०, छटुं करेइ २ सयकाम गु०, अट्ठमं करेइ, सव्वकाम गुण, ॥ १ ॥ एवं खलु खुडाग सव्यतो भद्दरस तवो कम्मरस पढम पडिवाडी, भक्त कर पारना किया, छठ भक्त पारना किया, अष्टप भक्त कर पारना किया, दशम भक्तकर पारना किया, छठ भक्तकर पारना किया, अष्टम भक्तकर पारना किया, दशम भक्तकर पारना किया, द्वादश भक्तकर पारना किया, चौथ भक्तकर पारना किया, दशम भक्तकर पारना किया, द्वादश भक्तकर पारना किया, चौथ भक्तकर पारना किया, छर भक्तकर पारना किया, और अप भातकर सर्व रस का उपभोग कर पारना किया ॥१॥ यो निश्चय सर्वतोभद्रप कर्म प्रतिमा प्रथम परवाडी तीन महीने दश दिन में सूत्रोंक्त विधी प्रमाणे आराधी ॥२॥ फिर दूसरी पारवाडी अंगीकार की, जिसमें चोथ .प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी अर्थ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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