Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari

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Page 123
________________ 4.31 अष्टमांग-अंतगढ दशांग मूत्र करेति, सव्व काम, अट्ठावीसइमं करेति, सव्व काम गुण ०, तीसइमं करेति, सव्व काम, बत्तीसइमं करेति २ त्ता, सव्व काम गुण परेति २ त्ता, चौतीसइम करेति २त्ता, सव्व काम गुण पारेत्ति २त्ता, चउत्तीस छट्राई करेति, २त्ता सब काम गण पारेति ।। च उतीसइमं करेइ,.२ त्ता, सबकाम गुण परेइ २ त्ता, बत्तीसइमं करेइ, सव्व काम गण, तीसइमं करेइ सब काम गु., अट्ठाइसमं करेइ सय काम०, छब्बीसइमं करेइ, सब काम०, चोवीसइमं करेइ,-सव्व काम. बावीसइमं करेइ, सब काम गुण• बीसइमं करेइ, सब काम०, अट्ठारसमं उपवास ] कर पारना किया, बावीम भक्त (दश उपवास) कर पारना किया, चौबीम भक्त (इग्यारे उपवास) कर पारना किया, छब्धीस भक्त (बारे उपवास ) कर पारना किया, अठावीस भक्त (तेरे उपवास) कर पारना किया, तीम भक्त (चौदे उपवास) कर पारना किया, बत्तीस भक्त [ पारे उपवास कर पारना किया, चौतीस भक्त (साले उपवास) कर पारना किया, फिर चौंतीम छठ भक्त (बेले) किये, फिर पलटे चौंतीस भक्त (सोले उपवास) कर पारना किका, बत्तीत भक्त कर पारना किया, तीस भक्तई पारना किया, अठाइस भक्त कर पारना, छन्नीस भक्त कर पारना किया, चौवीस कर पारना किया, बावीस भक्त कर पारना किया, बीस भक्त कर पारना किया अठारा, भक्त कर पारना किया, सोस अष्टम बसेका प्रथम अध्ययन4.88 www 488 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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