Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सूत्र
अर्थ
** अट्टमांग-अंतगड दशांग सूत्र
तेणं कालेणं तेणं समएणं बारवत्ती र जयरीए. सेसे जहा पढमे, जाव कण्हवासुदेवे. आहेवच्चं जाव विहरति । तत्थणं बारवत्तीए णयरीए वसुदेवेराया धारणीदेवी बणवो, जहा गोयमे नवरं जालि कुमारे, पणासातोदाओ, बारसंगी, सोलस्सवासा परियापालइ, सेसं जहा गोयमस्त, जाव सतुंजे सिद्धे ॥ एवं मयालिओ, उपयालिओ, एवं पुरिससेणय, एवं वारिसेणय, एवं पज्जुणे, नवरं कण्हसेविता, रुप्पिणमाता । एवं संबेवि, वरं कण्हसेपिता, जंबुवतिमाया । एवं अनिरुद्धेवि, णवरं पजणेपिता, वेदर - भीमाया । एवं सच्चनिमित्रि णवरं समुद्दविजयपिता सिवामाया, एवं दटनेमिव ॥ सव् मोगa || इति चउत्थस्स वग्गस्स दसज्झयणा || ४ || १० || चउत्थो वग्गोसमत्तो ॥ ४॥
वासुदेव राजाराज करते विचरते थे ||२||तहां द्वारका नगरी में वसुदेव राजा धारणीराणी रहते थे. जैसे गौतम कमार हुवा तैसे ही जाली कुमार हुबा यावत् शत्रुजयपर भिद्ध हुआ || ३ || देस ही माली कुवार हुवा 'एसे हो. उजनी कुमार का भी, ऐम पुरषसेन कमरका भी, ऐसेही वारीसेन कुमारका भी। ऐसे ही पद्यकुमार का जिस में इतना विशेष-कृष्णजी पिता, ऋरूपनी माता ॥ ऐल साथ कामर का भी जिम में इतना विशेष कृष्णदिता जाम्बुवती माहा ! ऐसे ही अनिरुद्ध कुमारका भी विशेष में प्रद्युम्न कुमार पिता, वेदर भी माता एनेही सत्यमी कुमारका विशेष में-समुद्र विजय पिता शिवदिवी माता और ऐसे ही दृढनेमी कुमारका भी, सव का एक सारखा अधिकार जानना । इति चौथे वर्ग के तेरे अध्ययन और चौथा वर्ग समाप्त ॥ ४ ॥
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चतुर्थ वर्गका दशम अध्यायन
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