Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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A. Malai
ते रायगिहे गयरे अण्णयाकयाइ पमोदे घटेआविहोत्या ॥९॥ तत्तेणं से अज्जुगएमालागार कल्लं पभूयतरएहिं पुप्फेहिं कज्वहिं तिकटु, पञ्चुकाल समयंसी बंधुमतिए भारियाए सद्धिं वत्थिय पडियाए गिण्हइ २ त्ता, सयातो गिहातो, पडिनिक्खमा २त्ता रायगिहे णयरं मझमझेणं निगच्छइ २त्ता जेणेव पुप्फारामे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता, बंधुमइए भारियाए साई पुप्फंचयं करइ २ चा ॥१०॥ तएणं तीसेललियाए गोट्ठीए छगोट्ठीए पुरिटा, जेणेव मोग्गरपाणीस्स जक्खस्स . जक्खायतणे तेणेव उवागता, अभिरम्ममाणे चिटुंति ॥ १०॥ तत्तेणं से अज्जुणए मालागारे वंधुमति भारियाए साई पुष्फचयं करेह २ ता पछिवभरेइ २ चा अग्गाहि ग्रही नगर में किसी वक्त प्रमोद महोत्सव आयाथा ॥९॥ तब अर्जुनमाली प्रातःकाल में बहुत पचम फूलों को ग्रहण करने बन्धुपति भारिया के साथ पीस की छाव ग्रहण की, प्रहण करके अपने घर से निकला, निकलकर जहां पुष्पाराम था, तहाँ आया, आकर बन्धुमति भारिया के साथ फूलों
संग्रह करने लगा॥१०॥उस वक्त वे ललितादि गोठिले पुरुष जहां मोगर पानी पक्ष का गलायतन या
तहां आये, आकर वहां क्रीडा करते हुवे रहे थे।॥११॥ तब वह अर्जुन माली बंधुमति मारिया के साथ फूलों 1*भेले किये, भेले करके गवडी में भरे, भरकर मन कपर पुष्पादि सुगंधी द्रव्य ग्रहण करके महा मोगर
48 अनुवादक-पालनमचारी मुनि श्री अमोलक ऋपिजी +
प्रकाशक-राजावहादुर लाला सुखदेवसहायजी बालापसादमी
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