Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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4.480 अष्टमांग-अंतगर दशांग सूत्र
तंहोउणं अम्हंएयस्स दारयस्स नामाधे गयसुकुमाले २ ॥४१॥ तत्तणं तस्स दारयस्त अम्मापियरो नामकयं गयसुकुमालोत्ति, सेसं जहामेहे, जाव अलंभोग समत्थे जातेयाविहोत्था ॥ ४२ ॥ तएणं बारवतिए णयरीए सोमिलनामे महाणपरिवसइ अड्डे, रिउवयेय जाव मुपरिनिट्टिएयाधि होत्था ॥४३॥ तस्सणं सोमिलस्स महाणस्स सोमसिरिनाम माहणीहोत्था, सुकुमाला जावं सुरूवा ॥ ४४ ॥ तस्म्णं सोमिलस्स धूया सोमसिरिएमाहणीए अत्तया सोमानामं दास्या होत्था, सुकुमाला जाव सुरूवा,
रूवेणं जाव लवणेणं उकिट्ठा उक्विटुसरीरायाविहोत्था ॥ ४५॥ तत्तणं सा सोमादारिया बालक का नाम 'मनगुकमाल ' हा॥४१॥ तब उस बालक के माता पिताने वालकका नाम स्थापन किया, * गजमुकुमाल' ऐमा, शेष कथन जैसा मेयकुमार का कहा तैमा जानना यावत् संपूर्ण भोग भोगाने समर्थ हुवा ॥ ४२ ॥ तब द्वारका नगरी में सोमिल नाम का ब्राह्मण रहता था, वह ऋद्धिवन्त रिजुवेद आदि। चारों वेद वगैरह ब्राह्मण के शान में निपुण था ॥ ४३ ॥ उस सोमिल ब्राह्मण के सोम श्री नाम की 41 ब्राह्मणी स्त्री थी वह भी मुकुमाल और रूपावति थी ॥ ४४ ॥ उस मोमिल ब्राह्मण की पुत्री सोमश्री ब्राह्मणणी की आत्मज 'सोया' नाम की पुत्री थी, वह भी सकुमाल यावत् सुरूपवती थी, रूपकर
लावण्यता कर उत्कृष्ट २शोभायमान थी॥५॥तब वह मोमा लडकी अन्यदा किसी वक्त।
4.81800 तृतीय-वर्गका अष्टम अध्ययन 4882
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