Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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++8 अष्टमांग-अंतगड दशांग सूत्र
हियरिउ, देवसेणे, सतुसेण. छे अज्झयणा एगगमो ॥ बत्तिसंतो दत्तो ॥वीसं वासाइ परियायतो, चउहस्स पुवाई भत्तुजेसिहा ॥ छ? मज्झयणा सस्मत्ता ॥ ३ ॥६॥ तेणं कालणं तेणं समएणं वारावतिए णयरिए जहा पदुमं, णवरं वसुदेव धारिणीदेवी, सीहसुमिणे, मारणे कुमारे, पणःसंतादातो, चउदरसपुव्वा, वीसवासा परियायतो॥ सेसं जहा गोतमस्स, जाव सेतुजेसिद्धे ॥ सत्तमज्झयणं सम्मत्तं ॥ ३ ॥ ७ ॥ *
जत्ति उक्खेवो अट्ठमस्स-एवं खलु जंब ! तणं कालेगं तेणं समएणं बारावतिए नाग गाथापति पिता, मुलमा माता, बत्तीस २ स्त्रयों, बत्तीम २ दानका दायचा, बीस वर्षकी दिक्षा यावत् है शत्रुजय पर सिद्ध बुद्ध हो मुक्ति गय ।। इनि तीसरे वर्ग का छठा अध्याय मंपूर्णम् ॥३॥ ६ ॥ उस
काल उस समय में द्वारका नाम की नगरी थी, और सब अधिकार प्रथम अध्ययन जैमा ही जानना, इनना विशेष-वासुदेव राजा पिता, धारणी देवी माता, हि का सप देखा, सारण नामक कुमार हुवा
पांच से कन्य के साथ एक दिन पानी ग्रहण कराया, पांच सो २ दात दी, शेष सब अधिकार गौतम 4 कुमार जैसा जानना. यावत् शत्रुनय पर्वत पर एक माहेने के संथारे से सिद्ध बुद्ध मुक्त हुवे ॥ इति सातवा/4
अध्ययन संपूर्णम् ॥ ३ ॥ ७॥ याद आठवा अध्धयन का उझेप. यों निश्चय, हे जम्बू ! उस काल उस समय द्वारका नाम की नगरी थी, इस का वर्णन जैसा प्रथम अध्ययन में कहा वैसा यहां भी जानना।।
तृतीय वर्गका ६-८ अध्ययन +
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